|| अथ मूल मंत्र ग्रन्थ ||

||सत साहिब ||

निरंजन निरंजन निराकार भज रे | ताता न सीरा, राता न पीरा, धरो ध्यान धीरा रह्या आप थीर रे || १||

अडोलम् अबोलम् अछेदम् अभेदम् , परे से परे रे कहो कौंन हेरे | अगम अथाह दरिया, गया तू बिसर रे ||२ ||

बिना मूल मौला, जो काला न धौला | सुरति सिंध सैल , करो दूर फैलम, भजो क्यों न हरि रे ||३||

पशु तूँ पतंगम् भुवंगम् बिसासी, दई देह नर रे | रटो राम रमता रखो सील समता, करै तोहि अजर रे || ४||

अलख नूर मेला गुरु कौन चेला, बजर काल डर रे | शब्द में समाना अमाना अजोखम्, चलो क्यूं न घर रे || ५||

मूल मन्त्र गौहराया, भेद किन्हे विरले जन पाया | पिंड ब्रह्मंड सै सिंध न्यारी, कुछ ऐसी ही धारना धारी || ६||

दिल अंदर दीदार नहीं वार पार, बजर पौल पट खोल | नहीं तोल मोल, शब्द सिंध झलकै, दास गरीब निज नूर पलकै || 7||

||सत साहिब ||

     

 
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