वर्तमान आचार्य गुरुगद्दी नसीन श्रीमहंत दयासागर जी

वर्तमान आचार्य गुरुगद्दी नसीन श्रीमहंत दयासागर जी का जन्म २२ नवम्बर १९६१ को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मुहूर्त में परमपूज्य ब्रह्मलीन श्रीमहंत गंगासागर जी एवं वर्तमान परमपूज्य माताश्री ओमवती जी के यँहा पुत्र रूप में दयासागर जी का जन्म हुआ | ४ वर्ष की अवस्था में दयासागर जी को आचार्य आदि गद्दी का तिलक करके परम पूज्य श्रीमहंत गंगासागर जी ने श्रीमहंत की पदवी से विभूषित किया |

केन्द्रीय विधालय झज्जर से अंग्रेजी माध्यम से दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त की | पिताश्री जी के मार्ग दर्शन में श्री महंत दयासागर जी हर कक्षा में पढ़ाई में अव्वल स्थान (FIRST POSITION) पर आते थे | तदुपरान्त नेहरु कॉलेज, झज्जर से मैडिकल शिक्षा ग्रहण की | पूज्य गुरुदेव श्री महंत गंगासागर जी के अस्वस्थ होने पर श्री महंत दयासागर जी ने पूर्णतोर पर छतरी साहिब मंदिर, छुड़ानी धाम व गरीबदासीय पंथ की जिम्मेवारी सम्भाल ली | ब्रह्मलीन गुरुदेव श्रीमहंत गंगासागर जी की पूर्ण किरपा व स्थाई प्रेरणा से एवं परमपूज्य माताश्री ओमवती जी की आज्ञा से श्री महंत दयासागर जी पुरे भारत वर्ष में वाणी का प्रचार व तीर्थ स्थानों पर शिविर संचालन आदि का कार्य बखूबी कर रहे है |

३० वर्ष की आयु में १९९१ में श्री महंत दयासागर जी का विवाह गाँव झाडोदा कलां (नजदीक नजफगढ़-दिल्ली) में चोधरी ईश्वर सिंह डागर की सुपुत्री वन्दना जी के साथ संपन्न हुआ | वर्तमान में श्रीमहंत जी की दो सुपुत्रियां सुश्री दिव्या (२१ वर्ष) व सोम्या (१९ वर्ष) है, जो दिल्ली में शिक्षा ग्रहण कर रही है | १५ वर्षो के अन्तराल के बाद बन्दीछोड़ साहिब की असीम अनुकम्पा से एवं परमपूज्य माताश्री के वचनानुसार श्री महंत दयासागर जी के यँहा दो सुपुत्र २९ मई २००९ को पैदा हुए | जिसकी पुरे गरीबदासीय पंथ व इलाके में अपार खुशी मनाई गई |

परमपूज्य माताश्री वन्दना जी का वाणी प्रचार में पूर्ण सहयोग रहता है | उल्लेखनीय है कि श्री महंत दयासागर जी की 5 बड़ी बहने श्रीमती चन्द्रकांता, रत्नलता, स्वर्णलता, प्रेमलता, स्नेहलता, और दो छोटी बहनें किरणलता व दीपिका है | श्रीमहंत जी के चार छोटे भाई श्री प्रेमसागर, कमलसागर, आनन्दसागर व रतनसागर है | उपरोक्त सभी भाई-बहन शादी शुदा एवं बाल बच्चेदार है और छतरी साहिब मंदिर के व गरीबदासीय पंथ के सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है और श्री महंत दयासागर जी को पूरा सहयोग देते है |

कुछ वर्ष पहले श्रीमहंत दयासागर जी के एक अविवाहित भाई विजयसागर एक दुर्घटना में बन्दीछोड़ के चले गये | बन्दीछोड़ सर्व परिवार पर किरपा रखे | परमपूज्य माताश्री ओमवती जी के कुशल निर्देशन में यह संयुक्त परिवार राजनीति व सामाजिक शेत्र में भी अग्रणी रहकर सेवा करता है |

श्री महंत दयासागर जी के शिष्यों में स्वामी दयानन्द, स्वामी गजराजदास, भजन गायक समंद्रदास, साध्वी केवलानन्द, स्वामी रामजीदास, स्वामी शरणदास, स्वामी तारीफदास जी, स्वामी कपूरदास जी, प्रचारक संत शिवदास, रामदर्शन दास आदि वाणी प्रचार में प्रयासरत है |

     

 
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